बंदर और बैल की कहानी | Bandar Bail ki Kahani in Hindi

बंदर और बैल की कहानी: वैसे तो अपने पंचतंत्र की कई कहानियां सुनी होगी आज हम आपको पंचतंत्र की एक मनोरंजन को ज्ञानवर्धक कहानी जो बेल और बंदर पर आधारित है इन कहानी के बारे में हम आपको विस्तार पूर्वक बताएंगे।

हमें आशा है कि आप बल और बंदर (Bandar Bail ki Kahani in Hindi) की इस कहानी को पूरा पढ़कर आपको मनोरंजन के साथ-साथ कई नैतिक शिक्षा भी मिलेगी।

आगे यह कहानी आपको अच्छी और ज्ञानवर्धक लगी है तो अपने मित्रों को जरुर शेयर करना और अपने घर में छोटे बच्चों को जरूर बुलाना। तो चलिए लिए बैल और बंदर की स्थानों की कहानी के बारे में जानते हैं।

बंदर और बैल की कहानी के बारे में (Bandar Bail ki Kahani)

कहानी का शीर्षकबंदर और बैल की
कहानी के पात्रबंदर और बैल
विषयसच्ची मित्रता की महत्वता
भाषा हिदी
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बंदर और बैल की कहानी

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बंदर और एक बैल रहते थे। दोनों अच्छे दोस्त थे और समय बिताने के लिए हमेशा साथ रहते थे। वे दोनों एक-दूसरे के साथ खेलते और मिल-जुलकर समय बिताते थे। गांव के लोग भी उनकी दोस्ती से बहुत प्रसन्न थे।

एक दिन, गांव के लोगों ने वार्ता सुनी कि गांव के पास एक मेले का आयोजन हो रहा है। वे दोनों बंदर और बैल भी उस मेले में जाने का सोचने लगे। दोनों बहुत उत्साहित थे और मेले के लिए तैयारियां शुरू कर दी।

बंदर और बैल की कहानी

बंदर बहुत चालाक था और उसे एक विचार आया। उसने बैल से कहा, “हम दोस्त हैं और एक-दूसरे की मदद करना चाहिए। इस मेले में हमें धूप में तो नहीं घूमना चाहिए। तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो और मैं तुम्हें बड़ी आसानी से मेले के चारों ओर घुमा दूंगा।”

बैल भी बंदर की योजना से सहमत हो गया और वे उसी तरीके से मेले के लिए निकल पड़े। बंदर ने बैल को पीठ पर बिठाया और शुरू हो गया मेले के चारों ओर घूमना। बंदर ने बैल को काफी दूर घसीटा, जिससे बैल को बहुत थकावट हो गई। बैल ने बंदर से कहा, “बंदर भाई, अब मुझे और आगे नहीं घसीट सकते, मुझे थकावट हो रही है।”

बंदर ने देखा कि बैल बिल्कुल थक गया है और उसे जल्दी से से मेले तक पहुंचाने के लिए उसकी मदद करने की कोशिश नहीं कर रहा है। बंदर को अपनी चालाकियां फिर से समझ आई और वह अकेले मेले का मजा करने चला गया।

बैल ने देखा कि बंदर उससे दूर चला गया और उसे अकेले मेले का मजा करने दिया। उसे खुद तक जाने में बहुत समय लग गया और वह बहुत थका हुआ मेले पहुंचा। जब वह बंदर को वहां देखा, तो उसका दिल टूट गया। उसने समझ लिया कि दोस्ती में धोखा मिल गया है।

बंदर को भी अपनी चालाकियों का अहसास हुआ और वह पछताने लगा। वह खुद को बहुत बुरा महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपने दोस्त को धोखा दिया था।

इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि चालाकी से किसी को धोखा देना सही नहीं होता है। सच्ची मित्रता और साझेदारी में विश्वास करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे हम अपने दोस्तों की आदर्श मित्रता को समझते हैं और उन्हें विश्वास देते हैं। धोखा देने से न केवल हमारे दोस्ती को टूटने का सामना करना पड़ता है, बल्कि हमारा खुद का भी आत्मविश्वास कम होता है।

यह कहानी हमें क्या सिखाती है?

यह कहानी हमें कई महत्वपूर्ण सिख देती है-

  1. सच्ची मित्रता की महत्वता: कहानी बंदर और बैल की मित्रता पर ध्यान केंद्रित करती है। यह दिखाती है कि अच्छे दोस्त हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण होते हैं और उन्हें हमें समझना और समर्थन करना चाहिए।
  2. धोखा और चालाकी की नकारात्मकता: बंदर ने बैल को धोखा देने की चालाकी की कोशिश की, जो गलत है। धोखा देना और अन्यायपूर्ण कठोरता से हमें दूसरों के विश्वास को टूटने का सामना करना पड़ता है और हमारे स्वयं के आत्मविश्वास को भी क्षति पहुंचती है।
  3. साझेदारी और सहायता: बैल ने बंदर की सहायता करने का इरादा किया था, लेकिन बंदर ने अपनी चालाकियों के कारण उसकी सहायता करने से इंकार कर दिया। सहयोग और साझेदारी के महत्व को यहां परत्यक्ष रूप से दिखाया गया है। हमें अपने साथियों का समर्थन करने में सक्रिय रूप से हिस्सा लेना चाहिए।
  4. ईमानदारी और सजगता: यह कहानी दिखाती है कि चालाकी से किसी को धोखा देने के लिए हमें ईमानदारी और सजगता का पालन करना चाहिए। इससे हम समाज में नेतृत्व की भूमिका अदा करते हैं और अधिक सम्मान की प्राप्ति करते हैं।

इन सिखों को ध्यान में रखते हुए, हम एक और बेहतर व्यक्ति बनने में सक्षम होते हैं और समाज में सफलता की प्राप्ति करते हैं।

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बंदर और बैल की कहानी से जुड़े सवाल जवाब

  1. इस कहानी में बंदर और बैल कौन है?

    दोनों अच्छे दोस्त थे।

  2. इस कहानी से हमने क्या सिखा?

    हम एक और बेहतर व्यक्ति बनने में सक्षम होते हैं और समाज में सफलता की प्राप्ति करते हैं।

  3. इस कहानी में बन्दर का स्वाभाव कैसे था?

    बंदर बहुत चालाक और चंचल था।

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