10+ भूतों की कहानी: वैसे तो आपने भूतो की कई सारी कहानियां सुनी होगी इन कहानी से आपको काफी ज्यादा मनोरंजन और शिक्षाएं मिली होगी। भूतों पर आधारित कई सारी फिल्में किताबें नोबेल बन चुकी है।
भूतों का विषय हमेशा आकर्षण का केंद्र होता है। आज हम आपको भूतों की कई सारी कहानी आपको बताने वाले हैं।
इन कहानियों से आपको शिक्षा ज्ञान और मनोरंजन तीनों प्राप्त होगा। अगर आप भी भूत प्रेत की डरावनी कहानी (Bhooto ki Kahani in Hindi) का शौक रखते हैं, तो नीचे बताई गई कहानियों को अवश्य कर सकते हैं। तो चलिए लिए जानते हैं भूतों की कहानी हिंदी में।
भूतों की कहानी कहानी के बारे में
कहानी का शीर्षक | भूतों की कहानी |
कहानी के पात्र | भूत, प्रेत |
विषय | साहस और निडरता |
भाषा | हिदी |
हिंदी कहानी का संग्रह | क्लिक करे |
भूतों की कहानी कहानी (Bhooto ki Kahani in Hindi)
निचे आपको हम भूत और प्रेत की अनोखी कहानी के बारे में बताने वाले है-

1) मुर्गे बेचने वाले भूत की कहानी
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़के का नाम था रामू। उसके परिवार की मुश्किलें थीं और वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई प्रयास करते थे। एक दिन रामू के पिता ने उसे बताया कि उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे नहीं हैं और उन्हें किसानी में मदद करने के लिए अपने शेत में मुर्गे पालने की शुरुआत करनी होगी।
रामू काफी मेहनत करता और समय-समय पर अपने मुर्गों का ध्यान रखता था। उसके मुर्गे दिन पर दिन बढ़ते गए और वह बच्चों तक पहुंच गए। रामू ने बच्चों की देखभाल की और उन्हें संतुष्ट रखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में मुर्गे खरीदना शुरू किया।
एक दिन, जब रामू अपने मुर्गों को बाजार ले जा रहा था, वह एक अजीब और डरावना सामना करता है। रास्ते में, एक नज़रिये से देखते ही वह एक भूत के साथ खड़ा हो जाता है। भूत विकट दिख रहा था और उसकी आंखें लाल थीं, जिससे रामू का दिल डर से डर जाता है। लेकिन वह शांतिपूर्वक रहता है और धैर्य से भूत से पूछता है, “तुम कौन हो? क्या चाहते हो?”
भूत धीरे से बोलता है, “मैं एक प्राचीन आत्मा हूं और इस जगह पर पिछले कई सालों से रह रहा हूं। मुझे भूख लगी है, क्या आपके पास कुछ खाने को मिल सकता है?”
रामू का दिल दया से भर जाता है और वह भूत को घर ले जाता है, जहां उसे अपने द्वारा तैयार किए गए खाने की परोसी जाती है। भूत खाने के बाद रामू के प्रति कृतज्ञ होता है और उसे धन्यवाद करता है।
रामू उसके साथ बातचीत करने लगता है और जानता है कि वह भूत भी एक समय में गरीब आदमी था, जिसकी भविष्यवाणी में एक महान यात्री ने उसे बताया था कि जिस दिन वह ईमानदारी से और नेक काम करेगा, उसे खुदा उसके भविष्य को बदलने में मदद करेगा। रामू के मुर्गे बेचने की कहानी उसी पूर्वाग्रह से जुड़ी थी।
भूत का दिल खुशी से भर जाता है और वह रामू को विशेष वरदान देने का वादा करता है। रामू की भविष्यवाणी सच हो जाती है और उसकी मेहनत उसे समृद्धि लाती है। उसके मुर्गे इतने मशहूर हो जाते हैं कि उसे उन्हें बेचने के लिए बड़े-बड़े व्यापारी भी तैयार हो जाते हैं।
रामू का अनुभव सभी के दिलों को छू जाता है और वह शीघ्र ही गरीबी से बाहर निकल जाता है। उसके ईमानदारी, मेहनत, और धैर्य ने उसे न केवल आर्थिक सफलता दिलाई बल्कि एक भूत की मदद करके उसे आत्मशांति भी प्रदान की। इससे यह सिख मिलती है कि हमें अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहना चाहिए और दूसरों की मदद करने में कोई समस्या नहीं है।
2) भूत और चुड़ैल की मालगाड़ी
एक गांव में, जिसका नाम बिलकुल सामान्य था, एक भूत और चुड़ैल मिलकर अपनी खास मालगाड़ी चलाते थे। यह दोनों आपसी मित्र थे और उनके पास एक अद्भुत मालगाड़ी थी जो दिनभर उन्हें उनके कामों में सहायक थी।
भूत और चुड़ैल दोनों जगह-जगह घूमते और लोगों की मदद करते थे। चुड़ैल अपनी जादूगरी से लोगों की समस्याओं को हल करती थी और भूत अपनी अद्भुत शक्तियों से उन्हें सपोर्ट करता था। इस मालगाड़ी में उनके पास हर तरह की चमत्कारी वस्तुएं थीं, जैसे रत्न, रूपये, चमत्कारी चेहरे, अदभुत औजार और जादूगरी चमत्कार के उपकरण।
एक बार, एक गरीब व्यक्ति ने अपनी अत्याधुनिक दुकान के लिए मालगाड़ी के सहायता से सामान खरीदा। इससे उसकी दुकान बड़ी सफलता के साथ चलने लगी और उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। उसने भूत और चुड़ैल को धन्यवाद दिया और उनसे कहा, “तुम दोनों ने मेरी जिंदगी बदल दी है। मैं कैसे आपका आभारी हो सकता हूँ?”
भूत और चुड़ैल ने मिलकर कहा, “हम तो तुम्हारे मित्र हैं और मित्रों के लिए कोई आभार की आवश्यकता नहीं होती। हमें तुम्हारी मदद करने में खुशी मिलती है।”
इस घरीब व्यक्ति की सफलता की खबर गांव में फैल गई और दूसरे लोग भी भूत और चुड़ैल से मदद लेने लगे। ये दोनों आत्माएं अब अधिक से अधिक लोगों की सेवा करने लगीं और अपनी मालगाड़ी को उनकी मदद में लगातार इस्तेमाल करती रहीं।
इस कहानी का संदेश यह है कि जब हम अपनी शक्तियों को दूसरों की सहायता के लिए उपयोग करते हैं और उन्हें समर्थन प्रदान करते हैं, तो हम दूसरों की जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं और सामाजिक सुधार में अपना योगदान दे सकते हैं। यह भी दिखाता है कि अच्छे मित्र होने का महत्व अनमोल है और सबका साथ देकर हम संगठित रूप से बड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
3) भूत और चुड़ैल की रेस
एक दिन, भूत और चुड़ैल में एक मजेदार परिवारिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता गांव के लोगों को मनोरंजन प्रदान करने के लिए एक रोचक तरीका था। सभी गांव वासियों ने इस प्रतियोगिता को खूबसूरती से सजाया और समर्थकों के साथ भरा हुआ था।
भूत और चुड़ैल की रेस के नियम बड़े सरल थे। वे गांव के पश्चिमी और पूर्वी सीमा तक दौड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रतियोगिता दिन आता है और सभी लोग उत्साहित होते हैं जो इस दिलचस्प रेस को देखने के लिए एकत्र होते हैं।
रेस का समय आता है और भूत और चुड़ैल स्टार्टिंग पॉइंट पर तैयार हो जाते हैं। सभी लोग दिल से देखते हैं कि कौन जीतता है। शुरूआत में भूत थोड़ा आगे हो जाता है लेकिन चुड़ैल जल्द ही उसे पीछे छोड़ देती है। भूत का दिल तोड़ जाता है लेकिन वह हार नहीं मानता है। वह अपने पूरे धैर्य और उत्साह से दौड़ता है। दौड़ते दौड़ते, उसे याद आता है कि उसके पास एक छोटा सा जादूगर टोपी है जो उसे तुरंत भागदौड़ करने में मदद कर सकती है। वह अपनी टोपी धारण करता है और एक वेगवान धावा देता है।
चुड़ैल भी दौड़ती है, लेकिन भूत के नए उत्साह से वह उसके साथ सामंजस्य नहीं कर पाती है। भूत अंत में जीत जाता है और सभी लोग उसकी जीत को बधाई देते हैं।
इस प्रतियोगिता से सभी गांव वासियों को एक सबक मिलता है। भूत और चुड़ैल की रेस दिखाती है कि धैर्य, उत्साह, और समर्थन से हम किसी भी मुश्किल से निपट सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। इससे भूत और चुड़ैल की मित्रता और सहायता की मिसाल भी मिलती है, जो हमें समाज में एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहने का महत्व दिखाती है।
4) भूत और चुड़ैल की शादी
चलिए, आपको एक मनोहर कहानी के रूप में एक रोमांचकथा सुनाते हैं – “भूत और चुड़ैल की शादी”।
एक समय की बात है, दिवारिका नामक छोटे से गांव में एक भूत रहता था। वह भूत आत्मा भले ही दिखाई न देती थी, लेकिन उसका मन दिलचस्प था और वह दिल से आत्मा के रूप में अच्छा था। दूसरी ओर, एक अद्भुत सुंदर चुड़ैल नामक दिव्य संतानी भी उसी गांव में रहती थी। वह चुड़ैल भी मानवों की तरह सहजीवनी बिताती थी, और उसके दिल में भी अच्छाई छिपी हुई थी।
भूत और चुड़ैल का गांव के लोगों से अच्छा संबंध था। वे दूसरे की मदद करते और एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए मिलते थे। इसलिए, एक दिन भूत ने एक अनोखा सवाल चुड़ैल से पूछा, “क्या हम दोनों में दोस्ती के आगे कुछ और नहीं हो सकता?”
चुड़ैल ने मुस्कान के साथ कहा, “विचार तो बड़ा अच्छा है, लेकिन क्या दोस्ती से ज़्यादा हो सकता है?”
भूत ने प्रसन्नता के साथ उत्तर दिया, “हाँ, हम दोनों के बीच अच्छी मित्रता है, लेकिन मुझे यह एहसास हो रहा है कि हम दोनों के बीच कुछ ख़ास है।”
चुड़ैल ने ध्यान से सोचा और फिर भूत के आँखों में देखकर कहा, “तुम शायद सही हो। मैं भी इसे महसूस कर रही हूँ।”
इसके बाद से, भूत और चुड़ैल के बीच एक अद्भुत और गहरी मित्रता का रिश्ता हो गया। वे दिन भर एक-दूसरे के साथ बिताते और अपने दिल की बातों को एक-दूसरे के साथ साझा करते।
एक दिन, जब भूत और चुड़ैल अपनी मित्रता के चर्चे में इंजॉय कर रहे थे, उन्होंने फैसला किया कि वे दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं। इस फैसले से गांव के लोग भी खुश हुए और भूत और चुड़ैल की शादी बड़े धूमधाम से आयोजित की गई।
शादी के दिन, गांव ने खूबसूरती से सजी थी। भूत और चुड़ैल के दोस्त और परिवार सभी उत्साहित थे। सभी ने खुशियों के रंग में नाचा और गाया।
भूत और चुड़ैल की शादी गांव के लोगों के लिए एक संख्या तक यादगार बन गई। यह एक बेहद रोमांचक कहानी है जो हमें यह दिखाती है कि कभी-कभी हमारे आस-पास की सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध और सहानुभूतिपूर्ण दोस्तों में एक अद्भुत रिश्ता हो सकता है और इस रिश्ते को संबोधित करना हमारे लिए एक अच्छा कदम हो सकता है।
5) भूतों की कहानी डरावनी
एक डरावनी भूतों की कहानी-
एक बड़े पुराने हाउस में भूतों का वास था। यह हाउस रहस्यमय और डरावना दिखता था, और इसके आसपास के लोग इसे छोड़ कर दूर रहते थे। इस घर में पहले किसी राजा का रहने वाला था जिसने दुनिया के अमूल्य संपत्तियों को इस घर में छिपा दिया था। इसलिए लोग कहते थे कि भूतों का वास उस अमीर राजा की लौटी हुई दौलतों के कारण होता है।
गांव के अन्य लोगों की तरह, एक बहादुर और समर्थ युवक भी था जो राजा की दौलतों की तलाश में था। उसके अंदर का जिगर इतना बढ़ गया था कि वह रात के समय भी उस हाउस में ढाईवाला था, ढाईवाला होकर राजा की दौलतों को ढूंढने के लिए।
एक रात, जब चाँदनी की रौशनी में सब सो रहे थे, ढाईवाला हाउस में पहुंच गया। जब उसने घर के अंदर कदम रखा, तो वह अनभिज्ञ आवाज़ सुनाई दी। उसे लगा कि यह भूतों की आवाज़ है और उसने डर से कांपते हुए वापस मुड़ने की कोशिश की। लेकिन दिल में उस राजा की दौलतों की आस थी और वह हारने को तैयार नहीं था।
धीरे-धीरे, ढाईवाला उस भयानक घर के अंदर चल पड़ा। वह घर जितना रहस्यमय और भयानक दिखता था, उतना ही वास्तव में भी था। सामने आते ही उसे वहां से भागने का मन करता था, लेकिन उसके अंदर का जिगर उसे उस राजा की दौलतों की खोज के लिए मजबूर कर रहा था।
आगे बढ़ते ही उसके सामने एक विचित्र आदमी खड़ा हो गया। वह आदमी एक खूनी प्रेत था, चेहरे पर लिवाज़्मी हँसी लिए हुए। ढाईवाला डर कर वहां से पलटने की कोशिश करता है, लेकिन उसके पास कोई रास्ता नहीं है। प्रेत धीरे-धीरे उसके पास आता है और ढाईवाला की भीड़ ठिकाने नहीं लगती।
प्रेत ने डर कर ढाईवाले का कान करीब लगाया और कहा, “तुम यहां से जाओ। यह जगह नहीं तुम्हारे लिए। यह राजा की दौलतों के भूतों का वास है और यहां आने का तुम्हें नहीं।”
ढाईवाला अब अपने पूरे आत्मसमर्पण में वहां से बाहर निकलता है। वह डर कर रगड़-रगड़कर अपने घर वापस पहुंचता है और सोचता है कि जीवन में राजा की दौलतों की खोज करने के बजाय ज्यादा अच्छा यही होगा कि वह इस डरावने हाउस को भूल दे और खुशी से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाए।
इस भूतों की कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जिन चीजों की हमारे पास जरूरत नहीं होती है, उन्हें पीछे छोड़कर हमें अपने सपनों के पीछे भागना चाहिए। डर से नहीं, जिज्ञासा और साहस से हमें अपने लक्ष्यों की खोज करनी चाहिए। यह भी दिखाती है कि अज्ञानता और भ्रम के वश में हम अपनी असली वास्तविकता को खो सकते हैं और खुद को डरावने परिस्थितियों के भूतों में उलझा देते हैं। इसलिए, जिंदगी में हमें अपने दिमाग को शांत रखकर बेहद रोमांचक और उत्साहित रहना चाहिए, ताकि हम अपने आंतरिक भयों को पार कर सकें और अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ सकें।
6) भूत बंगला की कहानी
एक डरावनी भूत बंगला की कहानी-
यह कहानी उस समय की है जब भारत के एक गांव में एक बड़ा और भव्य बंगला था। यह बंगला पुराना और रहस्यमय दिखता था जिसमें कई साल पहले घटित घटनाएं हुई थीं। लोग इस बंगले के आसपास से दूर रहते थे क्योंकि उसे भूतों की निवास स्थान माना जाता था।
बंगले के बारे में कहानियों में ऐसी डरावनी बातें सुनी जाती थीं कि रात को वहां राक्षसों की चीखें सुनाई देती थीं और ख़ामोश चाँदनी रातों में भूतों की आहटें सुनाई देती थीं।
एक दिन, एक उत्साही और साहसी सफलता के इच्छुक व्यक्ति ने फैसला किया कि वह उस भूत बंगले को खुद खोजेगा और उसके रहस्यों का पर्दाफाश करेगा। इस व्यक्ति का नाम विक्रम था।
विक्रम भूत बंगले की खोज करने के लिए एक रात को अकेले वहां जा पहुंचा। वहां पहुंचने पर उसे अनजाने डरावनी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। रात थी, और भूत बंगला का वातावरण वास्तव में डरावना था। लंबे गुजराते हुए समय के बाद, विक्रम ने भूत बंगले के भीतर जाने का साहस किया।
जैसे ही वह भूत बंगले के भीतर पहुंचता है, वहां से भूतों की आहटें सुनाई देने लगती हैं और भूतों की भयानक चीखें सुनाई देने लगती हैं। धीरे-धीरे विक्रम के दिल में भी डर उभरने लगता है, लेकिन वह अपने साहस को संभालता है और आगे बढ़ता है।
उसने अंदर जाकर भूतों को खोजते हुए एक गुप्त सिरका खोज लिया। यह सिरका उस भूत बंगले की असली चाबी थी। जिसे लेकर विक्रम उस भूत बंगले के बाहर निकल जाता है।
लोगों के आश्चर्य और हार्दिक अभिनंदनों के साथ, विक्रम भूत बंगले के सच्चाई को प्रकट करते हुए वापस आता है। उसके साथी और गांव के लोग उसे सराहते हैं क्योंकि उसने अपने साहस और निडरता से भूत बंगले की रहस्यमयी दुनिया का पर्दाफाश किया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि डर के सामने भीड़ और रहस्यमयी स्थितियों में भी हमें साहस और निडरता दिखानी चाहिए। जब हम अपने भयों का सामना करते हैं और उन्हें पार करते हैं, तो हम खुद को मजबूत बनाते हैं और सफलता के सफल पथ पर आगे बढ़ते हैं।
7) भूतिया पेड़ की कहानी
एक गांव में एक भूतिया पेड़ था। वह पेड़ जंगल के एक अंदेशेरे सर पर स्थित था, और लोग कहते थे कि उस पेड़ में भूतों का वास है। इसकी वजह से उस पेड़ के निकट लोग कभी भी जाने से डरते थे।
एक दिन, गांव के एक नए गाँववासी रहने के लिए आया। वह नया गाँववासी बहुत नाड़ान और धृष्ट था। उसे भूतों के बारे में कुछ विशेष ज्ञान नहीं था, और उसके दिल में किसी भय की भावना नहीं थी।
नया गाँववासी रात के समय पेड़ के पास गया और वहां ठहर गया। वह धीरे-धीरे सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पेड़ के आस-पास भयंकर आवाज़ आने लगी। वह आवाज़ ऐसी थी, मानो कोई दुष्ट आत्मा उसे भयभीत कर रही हो।
धीरे-धीरे आवाज़ तेज होने लगी और नया गाँववासी ने भी उसे सुनना बंद कर दिया। लेकिन वे आवाज़ और भी प्रबल हो रही थी। उसने सोचा कि कैसे भी हो, उसे इस आवाज़ का पता लगाना होगा।
देर रात जब आवाज़ कम हो गई, तो नया गाँववासी ने फिर से साहस करके पेड़ के पास जाकर खड़ा हुआ। वह देखने लगा और तभी उसे समझ में आया कि आवाज़ भूतों की नहीं बल्कि एक अभिषापित और बेहोश हाथी की थी, जो वहां एक झील के निकट पड़ा था।
नया गांववासी ने धीरे से उस हाथी को पानी के करीब खींचा और धीरे-धीरे पानी से भरने लगा। एक बार जब हाथी जाग गया और पानी को महसूस किया, तो उसने नये गांववासी का आभार व्यक्त किया।
इसके बाद से, गांव में लोग नए गाँववासी के साहस और धैर्य की प्रशंसा करने लगे और भूतिया पेड़ के पास जाने का डर खत्म हो गया। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अक्सर हमारे भय का कारण हमारे खुद के विचारों में होता है और जब हम साहस और धैर्य से उससे मुकाबला करते हैं, तो भय खुद ही गायब हो जाता है।
8) सबसे डरावनी भूत की कहानी
डरावनी भूतिया कहानियां लोगों को गूँजती हुई रात की चुप्पी में रहस्यमयी और डरावनी दुनिया में ले जाती हैं। यहां एक डरावनी भूतिया कहानी प्रस्तुत की गई है:
“भूतिया रेलवे स्टेशन”
कुछ समय पहले एक गांव में एक छोटा सा रेलवे स्टेशन था। गांव के लोग उस स्टेशन का उपयोग बहुत कम करते थे क्योंकि ज्यादातर लोग गाड़ियों या बसों से यात्रा करते थे। रेलवे स्टेशन पर रेलवे गाड़ी बहुत कम समय के लिए रुकती थी और स्टेशन बहुत सुनसान और उजार दिखता था।
एक दिन, गांव के एक नाविक ने रेलवे स्टेशन पर रुके ट्रेन से जुड़ी कुछ विचित्र घटना के बारे में सुनाया। उन्होंने बताया कि रात के समय वहां अजीब आवाज़ें सुनाई देती हैं और धूप में भी कुछ अद्भुत दिखता है। इसके साथ ही वह बताने लगे कि कुछ लोग भूतों को रेलवे स्टेशन पर घुसने और उसकी सड़कों पर घूमने की बातें सुना हैं।
गांव के लोगों ने उस नाविक की बातों को हंसी में ताल दिया और उन्हें खोटा समझा। लेकिन कुछ दिनों के बाद एक दूसरे नाविक ने भी रेलवे स्टेशन पर वही घटना रिपोर्ट की और यह बात गांव में फैल गई।
कुछ और दिनों तक कुछ हुआ नहीं, लेकिन फिर एक दिन एक यात्री ने भी रेलवे स्टेशन पर भूतिया घटनाओं के बारे में बात की। यह बात गांव के लोगों को डराने लगी।
जिन लोगों ने भूतों की कहानियों को खोटा माना था, वे अब भी रेलवे स्टेशन पर रात में कभी नहीं जाते थे। उन्होंने दूसरे रास्ते का उपयोग करके अपने लक्ष्य तक पहुंचने का फैसला किया।
जब गांव के लोगों ने रेलवे स्टेशन के अजीब वातावरण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई, तो उन्होंने देखा कि वहां कुछ खास नहीं था। लेकिन उन्होंने देखा कि स्टेशन पर रात को वाकई अलग ही माहौल था, जो लोगों को डरावना बनाने में काम आया।
यह घटनाएँ रेलवे स्टेशन के आसपास कानपुर के निकट समय समय पर घट रही थीं। इन घटनाओं के बारे में कुछ लोग कहते थे कि वहां भूत हैं, और कुछ कहते थे कि वहां नकली भूत होते हैं जिन्हें कुछ लोग बनाते हैं ताकि वे लोगों से डराएँ।
कुछ लोगों के अनुसार, रेलवे स्टेशन के पास कुछ अस्पष्ट दिखता था, जिसे वे भूत मानते थे, और यह उन्हें डराने में काम आता था। लेकिन कुछ लोगों ने भी रिकार्डिंग या चेकिंग के दौरान कुछ असामान्य नहीं देखा था, जो इन घटनाओं को वैज्ञानिक रूप से समझाने की कोशिश करते थे।
अंततः, इन सभी घटनाओं के बावजूद, भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानियां गांव के लोगों के बीच में चली रहीं। इन्हें सुनने के बाद बहुत से लोग रात को वहां नहीं जाते थे और जिन्होंने जाने का फैसला किया था, वे सावधानीपूर्वक जाते थे। रेलवे स्टेशन के बारे में डरावनी कहानियां आज भी गांव के लोगों के बीच में फैली हुई हैं और वहां के लोगों के मन में अजीबोगरीब कुछ सवाल हैं।
9) नाई और भूत की कहानी
यह एक भूतिया कहानी है, जिसमें एक नाई (बर्बर) और भूत के बीच घटी।
किसी गांव में एक नाई नामक व्यक्ति रहता था। वह नाई बहुत ही मासूम और आदर्शवादी आदमी था। वह हमेशा अपने काम में दिल लगाता और लोगों को सुंदर बाल बनाने में कामयाब रहता था। उसकी नैया और व्यवहार वजह से गांव के सभी लोग उसे बड़े प्यार से देखते थे।
एक बार, नाई ने रात को अपने कामशाले में काम करते हुए देर रात तक काम किया। जब उसे काम पूरा होने का अहसास हुआ, तो उसने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया और अपने सामान को संभालकर घर की ओर रवाना होने को तैयार हुआ।
रास्ते में जाते-जाते नाई ने एक वड़ा पेड़ के नीचे खड़े होकर अपने रास्ते की दिशा देखी। रात के अंधकार में पड़ी एक आवाज़ उसके कानों में पड़ी।
“कहाँ जा रहे हो, नाई?” वह आवाज़ कहने वाले का पता नहीं चला, लेकिन नाई को भयभीत कर देने वाली थी। वह चकित होकर चारों ओर देखने लगा। लेकिन जैसे ही उसने आवाज़ का पता लगाने की कोशिश की, उसे लगा कि वह आवाज़ पेड़ के नीचे से आ रही है।
नाई का दिल धड़कने लगा, और उसके सामने से एक साया निकला। साया अचानक से उसकी ओर आकर खड़ा हो गया और नाई को देखते ही बोला, “मुझे देखने के लिए तुमने दिल की धड़कन को सुना। क्या चाहते हो?”
नाई डर से काँपते हुए बोला, “कौन हो तुम? क्या चाहते हो?”
साया ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं एक भूत हूं, और तुम्हारे रेलवे स्टेशन में भटक रहा हूं। रात को तुम्हें देखकर अच्छा लगा, इसलिए मैं तुम्हें दर्शन देने आया हूं।”
नाई को भूत से नहीं, बल्कि उसके मीठे तरीके से बातचीत करने से विश्वास हुआ। वह बच्चों के साथ करता था, इसलिए वह डराने वाली कहानियों को अच्छे से जानता था।
उसने मुस्कराकर कहा, “अच्छा तो तुम भूत हो। तुम यहां कैसे आए?”
भूत ने विचार करते हुए कहा, “मैं रेलवे स्टेशन में भटक रहा हूं, मेरे पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है।”
नाई ने भूत का साथ देने का फैसला किया और कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद करूंगा। तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें रास्ता दिखा दूंगा।”
भूत ने नाई का आभार व्यक्त किया और उसके साथ चलने लगा। नाई ने उसे रेलवे स्टेशन से दूर ले जाया और फिर वहां से वापस लौट आया।
जब नाई अपने कामशाले पर पहुंचा, तो उसे यकीन हुआ कि भूत के साथ उसका सामना हुआ था। लेकिन वह डरने के बजाय भूत को साथ देने से वह अपने आदर्शवादी मूल्यों का पालन करता हुआ दिखा। वह जानता था कि भूतों का दरिया बेहद गहरा हो सकता है, लेकिन एक अच्छे मन से वे सभी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि डरावनी चीजों से नहीं, बल्कि उन्हें सामान्य होने की कोशिश करने से हम उनसे निपट सकते हैं। आदर्शवादी वृत्ति का पालन करने से हम खुद को साहसी बना सकते हैं और अच्छे मन से चौथे मंजिल की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
10) पुराने जमाने की भूतों की कहानी
पुराने जमाने में भारत के अनेक भूतिया किस्से और कहानियां चलती थीं, जो लोगों को रात के समय डराती थीं और अजीब-ग़ज़ब वातावरण बनाती थीं। ये कहानियां आम तौर पर गांवों में, हवेलियों में और अभिशापित स्थलों में घटित होती थीं। नीचे कुछ ऐसी पुरानी भूतिया कहानियां हैं:
1. चुड़ैल की कहानी: एक गांव में रहने वाले लोग रात के समय एक चुड़ैल की कहानी सुनाते थे। विशालकाय और दायनी दिखने वाली चुड़ैल रात्रि में जंगलों में भटकती थी और वहां के लोगों को डराने के लिए अलग-अलग रूपों में प्रकट होती थी। यह कहानी लोगों के बीच में ज़िन्दा रहती थी और उन्हें रात के समय जंगलों से दूर रहने की सलाह दी जाती थी।
2. बगुला भूत की कहानी: एक पुराने महल के अंदर भूतों के रहस्यमयी घटनाओं की कहानी भी सुनाई जाती थी। महल में रहने वाले लोग बगुला भूत के विचार से डरते थे। बगुला भूत रात्रि में उड़ान भरता और लोगों के सामने प्रकट होता था, जिससे लोग डर जाते थे। यह कहानी लोगों के बीच में महसूस होने वाली एक रहस्यमयी घटना बनी रहती थी।
3. पुरानी हवेलियों की कहानी: पुरानी हवेलियों की कहानियां भी लोगों को रात के समय डराने के लिए सबसे उपयुक्त थीं। विशालकाय हवेलियों में भूतों की भयानक कहानियां सुनाई जाती थीं, जिनमें भूतों की आत्माएं लोगों को परेशान करती थीं और अलग-अलग कमरों में प्रकट होती थीं। ये कहानियां लोगों के बीच में वायरल होती थीं और लोग उन्हें सुनकर रात को डरते थे।
ये कुछ ऐसी पुरानी भूतिया कहानियां थीं जो भारत में लोगों के बीच में प्रचलित थीं। ये कहानियां लोगों को रात्रि में घबराने, सोने के बाद दरवाजे बंद करने और अलग-अलग संसारों में डर को महसूस करने का एहसास कराती थीं। ये कहानियां अपने अजीब-ग़ज़ब तत्वों, उलझनों और रहस्यमयी माहौल से लोगों को प्रभावित करती थीं। आज भी कुछ लोगों के बीच ये कहानियां जीवंत हैं और लोग इन्हें सुनकर रात्रि में डर से कांपते हैं।
11) डरपोक भूत की कहानी
एक बड़े ही विख्यात महल के पास एक छोटा सा गांव था। वहां के लोग एक-दूसरे के साथ मिलजुलकर रहते थे और सभी अपने अच्छे दोस्त थे। लेकिन एक दिन गांव में एक अजीब सी घटना हुई। रात को सभी लोग अपने घरों में आराम से सो रहे थे। तभी गांव के सबसे डरपोक और कायर व्यक्ति, जिसे सभी भूतों से बहुत डर लगता था, ने घर के बाहर भीगी धूप में अचानक एक अजीब सी आवाज़ सुनी।
वह आवाज़ कुछ ऐसी थी जैसे किसी चीज़ ने रात्रि में उड़ान भरते हुए आकार बदला हो। डरपोक व्यक्ति ने धीरे से दरवाज़ा खोला और देखा वह वहां कोई भूत नहीं था। वह शीतल वायु और छंट रही धूप की वजह से सोने की कश्ती में घुसा था। वह अपने दर्द भरे तरीने में पड़ा था।
परन्तु वह आवाज़ और भी करीब आने लगी। उसे लगा कि शायद कोई भूत वहां है और उसने बिल्कुल बहुत सावधानी से देखा तो उसे एक विशालकाय दादी अपनी कुर्सी पर बैठी दिखाई दी। उस दादी का चेहरा काला था और उसकी आंखें लाल थीं। उसके हाथों में एक लाल रंग का झूमर था, जिसे वह हर तरफ घुमा रही थी।
डरपोक व्यक्ति बिल्कुल डर गया और उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई। वह चिपक गया और अपने दोनों हाथों से चेहरे को ढक लिया। वह खुद से बहुत डरते हुए एक सवाल पूछने लगा, “कौन हो तुम? तुम्हारी क्या ख़बर है?”
दादी ने धीरे से हँसते हुए कहा, “बेटा, मैं तो तुम्हारी दादी हूँ। कोई भूत नहीं हूँ। देखो यह झूमर, यह मेरा नया ख़रीदा हुआ है।”
डरपोक व्यक्ति ने अपने हाथों से चेहरे को ढक कर बोला, “आप मेरी दादी नहीं हो सकती। मेरी दादी तो बहुत पुरानी हो गई थी और बिल्कुल छोटी दिखती थी।”
दादी हँसी में भर गई और कहने लगी, “बिल्कुल सही कहा। मैं बिल्कुल छोटी ही हूँ, लेकिन मैं भूत नहीं हूँ। तुम मुझे खोलकर देख लो।”
डरपोक व्यक्ति अपने हाथों को धीरे से फेरकर देखने लगा।
यह कहानी हमें क्या सिखाती है?
यह कहानी हमें कई महत्वपूर्ण सिखाती हैं-
- साहस और निडरता: कहानी में विक्रम जैसे साहसी व्यक्ति के माध्यम से हमें यह सिखाता है कि हमें अपने भयों का सामना करने के लिए साहस और निडरता का सामना करना चाहिए। जब हम डर को पार करके आगे बढ़ते हैं, तो हम अपनी सीमाओं को तोड़ते हैं और सफलता के पथ पर आगे बढ़ते हैं।
- परिश्रम: विक्रम की कहानी से हमें यह भी सिख मिलती है कि सफलता के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है। वह भूत बंगले को खोजने के लिए कठिनाइयों का सामना करता है, लेकिन उसका संघर्ष और परिश्रम उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफलता दिलाता है।
- विश्वास: विक्रम की भावना और विश्वास उसे उस भूत बंगले के भयानक रहस्यों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम खुद में विश्वास करते हैं और अपने शक्तियों पर भरोसा करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल परिस्थिति से निपट सकते हैं।
- सत्य का प्रतीक्षा: विक्रम की कहानी भी सत्य का प्रतीक्षा करने की महत्वता बताती है। वह अपने उद्दीपक से खुद को प्रशांत करता है और उसे रहस्यमयी सिरके तक पहुंचाता है जो उस भूत बंगले के असली चाबी होता है। इससे हमें यह सिख मिलती है कि हमें सत्य का प्रतीक्षा करने और इमानदारी से काम करने का महत्व समझना चाहिए।
इस डरावनी कहानी के माध्यम से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए हमें साहस, निडरता, परिश्रम, विश्वास, और सत्य का पालन करना चाहिए। इन गुणों के साथ हम अपने लक्ष्यों की दिशा में प्रगति कर सकते हैं और कठिनाइयों का सामना करके जीवन में अग्रसर हो सकते हैं।
इन्हें भी पढ़े-
भूतों की कहानी कहानी से जुड़े सवाल जवाब
-
क्या हमें भूतों की कहानी पड़ना चाहिए?
अगर आप ऐसी कहानी पड़ने के शौक़ीन है तो आपको जरुर पड़ना चाहिए।
-
इस कहानी से हमने क्या सिखा?
यह कहानी आपको केवल मनोरंजन के लिए ही पड़ना चाहिए।