डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में: आज हम भारत के भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। जैसे की हम सब जानती है कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर इनका नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।
वह एक दर्शनशास्त्र का बहुत ज्ञानी थे। और उन्होंने भारतीय दर्शन शास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुआत की थी। और डॉ राधाकृष्णन जी एक प्रसिद्ध और महान शिक्षक भी हुए हैं। इसलिए हम उनकी याद में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते हैं।
आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बायोग्राफी से संबंधित कुछ मुख्य अतिथि जैसे उनका जन्म, परिवार, शिक्षा, दांपत्य जीवन, राजनीतिक जीवन, निधन, सम्मान और उपलब्धियां तथा उनके अनमोल विचार उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें जैसे मुख्य वह बातें आपको उपलब्ध करवाएंगे।
जिसके जिसे पढ़कर आप भारत देश के महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन के बारे में संपूर्ण ज्ञान अर्जित कर सके। इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए।

- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi)
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार (dr sarvepalli radhakrishnan quotes in hindi)
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक (Books)
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की 10 खास बातें
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन से जुड़े सवाल
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi)
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति हुए हैं। व शिक्षा के लेखक होने के साथ-साथ उन्होंने अपने जीवन में जन कल्याण के लिए कई अधिक कार्य की है। इसलिए हम उनकी याद में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी जिसे आपको जानना जरूरी है, जिसकी जानकारी नीचे आपको उपलब्ध करवाई जा रही है जिससे आप पूरा पढ़िए।
नाम | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
जन्म | 5 सितम्बर 1888 |
जन्म का स्थान | तिरूतनी गाँव, तमिलनाडु |
माता-पिता | सिताम्मा, सर्वपल्ली वीरास्वामी |
भाई बहन | पाँच पुत्र तथा एक पुत्री |
पत्नी का नाम | सिवाकमु |
व्यवसाय | दार्शनिक, शिक्षाविद, विचारक, राजनीतिज्ञ |
पद | उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति |
धर्म | हिन्दू (ब्राह्मण परिवार) |
बच्चे | 5 पुत्री, 1 पुत्र |
मृत्यु | 17 अप्रैल 1975 (आयु 86 वर्ष) |
जन्म (Birth)
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म ब्रिटिश भारत की मद्रास प्रेसीडेंसी के चित्तूर जिले के तिरुत्तनी ग्राम (चेन्नई से लगभग 84 कि॰ मी॰ की दूरी पर) में एक ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर सन 1888 में इनका जन्म हुआ था। इनका परिवार गरीब जरूर था किंतु वह विद्वान ब्राह्मण भी थे। और इनके पिताजी के ऊपर ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। और बचपन से ही राधाकृष्णन जी को सुख सुविधा नहीं मिली थी।
परिवार (माता-पिता, भाई बहन)
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन साहब की माता जी का नाम श्री सीतम्मा और उनके पिताजी का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था। इनके पिताजी राजस्व विभाग में सेवा करते थे।
राधाकृष्णन जी का परिवार एक साधारण ब्राह्मण परिवार था। और उनके पिताजी श्री सर्वपल्ली वीरास्वामी के ऊपर ही पूरी परिवार की जिम्मेदारी थी। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के 6 भाई बहन (राधाकृष्णन का स्थान इन सन्ततियों में दूसरा था।) थे। इनके पुरखों सर्वपल्ली गांव के निवासी से इसलिए इनके परिवार के सदस्य के आगे सर्वपल्ली लगाने की रिवाज था।
शिक्षा विद्यार्थी जीवन (Education)
डॉक्टर राधाकृष्णन जी के विद्यार्थी जीवन की बात करें तो उन्होंने तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर अपनी शुरुआती 8 साल बिताए। और वहां थोड़ी बहुत शिक्षा प्राप्त की। वह एक मेधावी छात्र थे। और शुरू से ही उनकी पढ़ाई लिखाई में अत्याधिक रूचि थी। वर्ष 1806 के शुरुआती दौर में शिक्षा के लिए पिताजी ने इनका दाखिला तिरुपति के क्वेश्चन स्कूल में करवाया।
और समय के साथ-साथ वर्ष 1902 में वेल्लूर आएं और वर्ष 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा पास करके स्कॉलरशिप प्राप्त इन्होंने की। इसके पश्चात सन 1905 में इन्होंने मनोविज्ञान इतिहास और गणित जैसे विशेष रूचि रखने वाले राधाकृष्णन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में कला विषय में एडमिशन लिया और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर कालेज ने इन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान की। इन का सफर यहीं नहीं रुका उन्होंने वर्ष 1916 में फिलोसोफी में MA की डिग्री प्राप्त की।
डॉ राधाकृष्णन जी पढ़ाई के दौरान बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे। जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया था। वे स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। और उन्होंने अपना उन्हें प्रेरणा स्रोत मानते थे।
दाम्पत्य जीवन (विवाह, पत्नी और बच्चे)
एक निर्धन परिवार में जन्म लेने के कारण यह शुरू से ही आर्थिक रूप से कमजोर से थे। और उस समय काफी उम्र में ही इनकी शादी बाल विवाह के चलते हो गई थी। उनकी शादी उनकी दूर की चचेरी बहन से कर दी गई थी। डॉक्टर राधाकृष्णन जी मैट्रिक पास करने के बाद 18 मई 1930 को 14 वर्ष की आयु में उनका विवाह मात्र 10 वर्ष की “सिवाकामू” कन्या के साथ कर दिया गया था।
जिससे कि उन्हें कुल 6 संतानें प्राप्त हुई जिनमें 1 पुत्र और 5 पुत्र मुख्य रूप से है। उन्हें उनकी पहली संतान पुत्री सुमित्रा के रूप में हुई थी।
राजनीतिक जीवन
इनकी राजनीति में कदम स्वतंत्रता के पहले ही माना जाता है। जब भारत को स्वतंत्रता मिली उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राधाकिशन जी से विशेष राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनैतिक कार्यों की पूर्ति हेतु आग्रह किया तो। नेहरु जी कि इस बात को स्वीकारते हुए राधाकृष्णन जी ने सन 1947 से सन 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया।
सांसद के सभी लोगों को उनका कार्य और उनकी व्यवहार काफी प्रशानिया लगते थे। अपने सफल अकादमिक करे के बाद उन्होंने राजनीति में अपना कदम रखा।
13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे। इसके बाद 13 मई 1962 को ही वो भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। राजेंद्र प्रसाद की तुलना में इनका कार्यकाल काफी चुनौती भरा था। क्योंकि एक और भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुए जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं दूसरी और दो प्रधानमंत्रियों का देहांत भी इन्हीं के कार्यकाल में हुआ था। उनके काम को लेकर साथ वालों को उसमें विवाद कम सम्मान ज्यादा था।
निधन (Death)
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी 17 अप्रैल सन 1975 को 86 वर्ष की उम्र में चेन्नई में लंबी बीमारी के बाद इनका देहांत हो गया। जो कि देश के लिए एक अपूर्ण क्षति थी। देश के लिए उनके किए गए कार्यों और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। डॉक्टर राधाकृष्णन हिंदू विचारधारा, राष्ट्रवादी, दार्शनिक और भारतीय संस्कृति के संवाहक भी माने जाते हैं।
इन्होंने इंडियन फिलोसोफी की गहरी समझ और अच्छी जानकारी थी। उन्होंने विदेशों में मेनचेस्टर और लंदन में इस पर कई भाषण भी दिए हैं। हिन्दू दर्शनशात्र पर भाषण देने के लिए इंग्लैंड की मशहूर ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें आमंत्रित किया। और 1930 में उन्होंने शिकागो में हास्केल में भी व्याख्यान दिया था।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के मृत्यु के उपरांत 1975 में अमेरिका सरकार के द्वारा टेंपलटन पुरस्कार के द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया था। जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाने वाला पुरस्कार है। इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले वह प्रथम गैर इसाई संप्रदाय के व्यक्ति थे।
इनके बारे में भी जाने-
- द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
- फहाद फासिल का जीवन परिचय
- अतुल दिनकर राणे जीवन परिचय
- जनरल बिपिन रावत का जीवन परिचय और कुछ अनसुनी कहानी
- मिस यूनिवर्स हरनाज कौर संधू का जीवन परिचय (Biography)
- Sini Shetty: से जुड़े रोचक अनसुने किस्से जाने? | Biography
सम्मान और उपलब्धियां
वैसे तो डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का पूरा जीवन उपलब्धियों भरा रहा है। उन्होंने अपने जीवन के हर मोड़ पर कुछ ना कुछ महान उपलब्धि प्राप्त और की थी। नीचे आपको उनकी समस्त उपलब्धियों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं।
- डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए इन्हें सन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- और 1962 में राधा कृष्ण जी को सम्मान में उनका जन्म दिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।
- सन 1962 में ही डॉक्टर राधाकृष्णन जी को ब्रिटिश एकेडमी का सदस्य बनाया गया था।
- सन् 1931 से 36 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।
- ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे।
- कलकत्ता विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 1941 तक कार्य किया।
- सन् 1939 से 48 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।
- 1953 से 1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।
- 1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार (dr sarvepalli radhakrishnan quotes in hindi)
डॉक्टर राधाकृष्णन जी को दर्शनशास्त्र के ऊपर काफी गहरी अनुभव था। और वह एक अनुभवी शिक्षक होने के साथ-साथ एक महान दार्शनिक थे। उनके द्वारा कई महान अनमोल वचन उनके उनके द्वारा देश को दिए गए हैं। उन अनमोल विचार हम नीचे आपको उपलब्ध करवा रहे हैं। जिसे आप पढ़िए और अपने जीवन में उतारे।
"शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि चुनौतियों के लिए तैयार करें।"
"भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।"
"शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।"
"शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो कठिन परिस्थितियों के विरुद्ध लड़ सके।"
"किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।"
"ज्ञान हमें शक्ति देता है,और प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।"
"जीवन का सबसे बड़ा उपहार एक उच्च जीवन का सपना है।"
"धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं खुद जीवन नहीं।"
"कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है।"
"हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है।"
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक (Books)
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने जीवन में कई महान किताबें लिखी है। इन महान किताबों में उन्हें उन्होंने गौतम बुद्ध जीवन और दर्शन क्षमा धर्म और समाज भारत और विश्व आदि जैसी कई किताबें लिखी है। नीचे हम आपको उनकी समस्त किताबों के बारे में जानकारी टेबल के माध्यम से उपलब्ध करवा रहे जिसे आप पढ़िए।
प्रकाशित पुस्तकें
- द एथिक्स ऑफ़ वेदांत.
- द फिलासफी ऑफ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर.
- माई सर्च फॉर ट्रूथ.
- द रेन ऑफ़ कंटम्परेरी फिलासफी.
- रिलीजन एंड सोसाइटी.
- इंडियन फिलासफी.
- द एसेंसियल ऑफ़ सायकलॉजी
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की 10 खास बातें
वैसे तो डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का पूरा जीवन ज्ञानवर्धक है। उनके हर एक जीवन के पहलुओं से हमें सीखने योग कई सारी बातें मिलती रही है। नीचे हम आपको उनके जीवन की कुछ खास बातें बता रहे हैं जिससे आप पढ़िए और जाने।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक थे।
- वे बचपन से ही मेधावी थी।
- उन्होंने मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे।
- शिकागो विश्वविद्यालय ने डॉक्टर राधाकृष्णन को तुलनात्मक धर्मशास्त्र पर भाषण देने के लिए उन्हें आमंत्रित किया था।
- विभिन्न महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर रहते हुए भी उन्होंने सदैव अपने विद्यार्थियों को संपर्क में आए लोगों ने राष्ट्रीय चेतना बढ़ाने के लिए और रहता था।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन से जुड़े सवाल
-
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक का नाम क्या है?
डॉक्टर सर्वपल्ली जी के द्वारा लिखी गई प्रतीक पूर्व प्रसिद्ध पुस्तकों की जानकारी निशा को उपलब्ध करवाई जा रही है।
-
डॉ राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा क्या है?
राधा कृष्ण जी के अनुसार शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर रहने की प्रवृत्ति है। यह कैसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को ज्ञान और कौशल दोनों प्रदान करती है। तथा इनका जीवन मार्ग में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
-
डॉ राधाकृष्णन का विषय क्या था?
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मुख्य सब्जेक्ट मनोविज्ञान इतिहास और गणित था पूर्णविराम लेकिन इन्होंने कला विषय में एडमिशन लिया और फिलोसोफी में m.a. की डिग्री प्राप्त की।
-
राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षा का अंतिम लक्ष्य क्या है?
शिक्षा का लक्ष्य है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति।
-
भारत के प्रथम शिक्षक कौन है?
सर्वपल्ली राधाकृष्णन।
-
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पहली बार कब मनाया गया?
5 सितंबर, 1962 को।
-
5 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
-
गुरु दिवस कब मनाया जाता है?
प्रति वर्ष 5 सितम्बर।
-
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को किन चीजो का शौक था?
इन्हें बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था।
-
डॉ राधाकृष्णन अपने किस गुण के कारण दुनिया में पूजनीय हुए?
“शिक्षा का महत्व केवल ज्ञान और कौशल में नहीं है, बल्कि यह हमें दूसरों के साथ रहने में मदद करना है। इसी योग्यता के कारण दुनिया में पूजनीय हुए।
-
डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी पहली पुस्तक किस महान व्यक्तित्व पर लिखी थी?
साल 1908 में ही इनकी पहली पुस्तक ‘एथिक्स ऑफ द् वेदांता’ प्रकाशित हुई।
-
सर पल्ली राधा कृष्ण की मृत्यु कब हुई?
17 अप्रैल सन 1975 को 86 वर्ष की उम्र में चेन्नई में लंबी बीमारी के बाद इनका देहांत हो गया।
-
डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण की पत्नी का क्या नाम था?
डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण की पत्नी का नाम ‘सिवाकामू‘ था।
-
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न कब मिला?
सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।
-
डॉ राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति कब बने?
13 मई 1962 को ही वो भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
-
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नोबेल पुरस्कार के लिए कितनी बार नामांकित किया गया था?
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था।
-
नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय कौन हैं?
रविन्द्र नाथ टैगोर को 1913 इसवी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले प्रथम भारतीय हैं।
निष्कर्ष
अब आप इसलिए को पूरा पढ़कर भारत के महान दार्शनिक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तथा भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय से संबंधित सभी मुख्य तथ्य तथ्यों के बारे में अवगत हो गए होंगे।
जिससे कि आप इनके समस्त जीवन के बारे में जो भी जानने योग्य बातें ही सभी आप तक पहुंच गई होगी। अगर आपको अभी भी इनके जीवन से संबंधित किसी भी प्रकार की सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कीजिए। हम आपके समस्या का निवारण अवश्य करेंगे। और ऐसे ही नई-नई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट HindiNeer.com को फॉलो कीजिए।
धन्यवाद!