तेनाली रामा की कहानी | Tenali Rama ki Kahani in Hindi

तेनाली रामा की कहानी | कुए की शादी | कुत्ते की दुम सीधी | मटके में मुँह | बड़ा कौन | तेनाली रामा की समझदारी | तेनाली का मरियल घोडा | तेनाली की चुटिया | तेनाली और कंजूस सेठ | जाड़े की मिठाई | Tenali Rama ki Kahani in Hindi |

तेनाली रामा की कहानी: वैसे तो अपने तेनाली रामा की कई कहानियां सुनी होगी जैसे तेनाली रामा की चतुराई, तेनाली और कंजूस सेठ, तेनाली रामा की समझदारी, जैसी कई कहानियों को सुनकर आपको मनोरंजन के साथ-साथ उनकी चतुराई से कई शिक्षा भी मिली होगी।

आज हम आपको तेनाली रामा की कुछ मुख्य और चर्चित कहानियां की जानकारी बताएंगे जिसे पढ़कर आप तेनाली रामा की कहानी (Tenali Rama ki Kahani in Hindi) से मिलने वाली शिक्षा को अपने जीवन में उतर पाओगे। अगर यह कहानी आपको अच्छी और ज्ञानवर्धक लगी होगी तो अपने मित्रों का अवश्य शेयर करना। तो चलिए शुरू करते हैं तेनाली रामा की इन कहानियों के बारे में।

तेनाली रामा की कहानी के बारे में

कहानी का शीर्षकतेनाली रामा की कहानी
कहानी के पात्रतेनाली रामा, राजा आदि
विषयचतुराई, समझदारी
भाषा हिदी
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10+ तेनाली रामा की कहानी

तेनाली रामा, भारतीय इतिहास की मशहूर और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक हैं। वे अकबर के दरबार में महान कवि, मंत्री और विद्वान् रहे हैं। उनके चतुराई और बुद्धिमानी की कहानियां लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई हैं। यहां एक प्रसिद्ध तेनाली रामा की कहानी है।

एक बार अकबर बहुत चिंतित थे क्योंकि उन्हें एक ऐसा मंत्री चाहिए था जो उनके साथ बहुत ही बुद्धिमान और विवेकी हो। अकबर ने बाहरी दुनिया में ऐसे व्यक्ति की तलाश की जो उनके विशेषाधिकारी हो सके। उन्होंने बहुत सारे लोगों को आग्रह किया और विभिन्न चर्चाओं के बाद अपने दरबार में एक व्यक्ति को आमंत्रित किया जो वास्तविकता में बुद्धिमान और विवेकी हो।

तेनाली रामा, जो एक गरीब ब्राह्मण थे, ने इस खुशी के समाचार को सुनते ही अपने दोस्तों और परिवार को बताया। वे अकबर के दरबार में पहुंचे और अकबर ने तेनाली रामा को एक सवाल पूछा। अकबर ने उनसे पूछा कि जो सवाल वह पूछेंगे, उसका जवाब ऐसा होना चाहिए जो ज्ञानी, न्यायप्रिय और न्यायसंगत हो।

तेनाली रामा ने एक सवाल पूछा, “अकबर हुकूमत का क्या अर्थ है?” अकबर ने कई दिनों तक सोचा, लेकिन उन्हें इसका सही जवाब नहीं मिला। अकबर बहुत परेशान हो गए और चिंतित होकर अपने दरबार के सभी मंत्रियों के सामने आए। उन्होंने कहा, “मेरे पास इस सवाल का जवाब नहीं है। क्या कोई मेरी मदद कर सकता है?”

तेनाली रामा की कहानी  Tenali Rama ki Kahani in Hindi

तभी तेनाली रामा उभरे और बोले, “अकबर जी, हुकूमत वह है जिसे आप खो देते हैं जब आप ऐसे सवाल पूछते हैं जिसका उत्तर आपको नहीं मिलता।”

यह सुनकर अकबर बहुत खुश हुए क्योंकि उन्हें तेनाली रामा के बुद्धिमान और विवेकी होने की पहचान हुई। तेनाली रामा ने अकबर को बताया कि हर महान शासक के पास अपने आप में कमियाँ होती हैं, और उन्हें उन कमियों को स्वीकार करना चाहिए।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि विवेकी और चतुर व्यक्ति हमेशा समस्याओं के उचित हल ढूंढ़ सकते हैं और अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन कर सकते हैं। तेनाली रामा की कहानियां हमें ज्ञान और समझ के साथ मनोरंजन भी प्रदान करती हैं।

1) तेनालीराम की कहानी रसगुल्ले की जड़

तेनालीराम की एक मशहूर कहानी ‘रसगुल्ले की जड़’ है। यह कहानी तेनालीराम के चतुराई और बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित करती है।

एक बार तेनालीरामा के पास एक दोस्त आया और उसने कहा, “तेनाली, मैंने एक नया व्यापार शुरू किया है – रसगुल्लों का व्यापार। मैं उन्हें बहुत सारे लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ, लेकिन मेरे पास इसके लिए नकारात्मक विचार आ रहे हैं। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”

तेनालीरामा ने मुस्कान सहित कहा, “दोस्त, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। तुम मेरे पास कुछ रसगुल्ले लेकर आओ और मैं तुम्हें उसकी जड़ बताऊंगा जो तुम्हें व्यापार में सफलता दिलाएगी।”

दोस्त ने तेनालीरामा की सलाह मानी और रसगुल्ले लेकर उनके पास आया। तेनालीरामा ने एक रसगुल्ला उठाकर ध्यान से देखा और फिर उसे खाया। उसके बाद उन्होंने दोस्त से कहा, “रसगुल्ले की जड़ उसके मीठापन में नहीं होती है, बल्कि उसकी गुदवालों में होती है।”

दोस्त हैरान हो गया और पूछा, “तो मैं अपने व्यापार में गुदवालों को कैसे शामिल कर सकता हूँ?”

तेनालीरामा ने हंसते हुए कहा, “दोस्त, मैं इसका मतलब यह नहीं कह रहा हूँ कि तुम रसगुल्ले के मिठापन को छोड़ो, बल्कि अपने व्यापार में गुदवालों का ध्यान रखो। अपने ग्राहकों के साथ मिलवाट मत करो, उन्हें उच्च गुणवत्ता और मान्यता प्रदान करो। तुम्हारे व्यापार की जड़ उच्च गुणवत्ता और विश्वास होगा, जो तुम्हें सफलता दिलाएगी।”

दोस्त ने तेनालीरामा की बात मानी और अपने व्यापार में गुणवत्ता और मान्यता को महत्व देने लगा। उसका व्यापार धीरे-धीरे सफलता की ओर बढ़ता गया और रसगुल्लों की दुनिया में वह एक मान्य और प्रमुख व्यापारी बन गया।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि व्यापार में सफलता के लिए गुणवत्ता और मान्यता का महत्व होता है।

2) तेनालीराम की कहानी क़र्ज़ का बोझ

तेनाली रामा की एक और मशहूर कहानी ‘क़र्ज़ का बोझ’ है। यह कहानी तेनाली रामा के चतुराई और विवेक को प्रदर्शित करती है।

एक बार तेनाली रामा को अपने मित्र बिरबल के यहां दावत मिली। बिरबल के घर पहुंचते ही तेनाली रामा ने देखा कि वह चिंतित और परेशान दिख रहे हैं। उन्होंने पूछा, “बिरबल, तुम क्यों परेशान लग रहे हो?”

बिरबल ने कहा, “तेनाली, मुझे क़र्ज़ का बोझ उठाना पड़ रहा है। मैंने एक उधार लिया है और अब मैं उसे वापस नहीं कर सकता। मुझे यह सोचते हुए रात-दिन नींद नहीं आ रही है।”

तेनाली रामा ने बिरबल का हाथ पकड़ते हुए कहा, “बिरबल, तुम मेरी बात मानोगे?” बिरबल ने हां कहा और उन्होंने आगे कहा, “हाँ, तेनाली, मैं तुम्हारी सलाह लेने के लिए यहां हूँ।”

तेनाली रामा ने एक साधारण वस्त्र लिया और उसे अपने ऊपर सिरकाव कर बोला, “यह वस्त्र मेरे पास नया है और मुझे यह बहुत प्रिय है। मैं इसे तुम्हे देता हूँ और तुम मुझे इसका मूल्य चुकता करोगे।”

बिरबल चकित रह गए और उन्होंने कहा, “तेनाली, तुम मुझे वस्त्र दे रहे हो और उसका मूल्य मैं चुकता करूँगा? लेकिन मुझे तो पैसे की जरूरत है, न कि वस्त्र की।”

तेनाली रामा ने मुस्कराते हुए कहा, “बिरबल, यह वस्त्र सिर्फ एक उदाहरण है। मैं तुम्हें यह दिखाना चाहता था कि जब हम कुछ दूसरों के पास सवालजनक चीज़ें छोड़ देते हैं और उनकी ज़रूरत पूरी करने का मार्ग खोजते हैं, तो हमारी समस्याएँ अपने आप हल हो जाती हैं।”

बिरबल ने तेनाली रामा की बात समझी और अपने उधार को वापस करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी समस्या को समझा और सही समय पर सही निर्णय लेने का सिखारही थी।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें समस्याओं का सामना करने के लिए समय पर समय रहता है और बुद्धिमानी से उन्हें हल करने का प्रयास करना चाहिए।

3) तेनालीराम की कहानी नाई की उच्च नियुक्ति

एक बार राजा कृष्णदेव राय, तेनालीराम को अपने दरबार में नाई (नापाक) के पद पर उच्च नियुक्ति देने का फैसला किया। राजा ने तेनालीराम से कहा, “तेनाली, मैंने तुम्हें नाई के पद पर उच्च नियुक्ति दी है। मुझे एक कारण बताओ कि तुम नाई के पद के योग्य क्यों हो।”

तेनालीराम ने अपने चतुराई से कहा, “महाराज, मैं नाई के पद के योग्य हूँ क्योंकि मेरी चालाकी और व्यवहारिक दक्षता है।”

राजा कृष्णदेव राय हंसते हुए बोले, “तेनालीराम, मुझे यह समझाओ कि तुम्हारी चालाकी और व्यवहारिक दक्षता नाई के पद के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं?”

तेनालीराम ने सोचा और फिर कहा, “महाराज, जब मैं लोगों की दाढ़ी और बाल काटता हूँ, तो मैं ध्यान से उनके चेहरे को देखता हूँ। अगर मैं उनके चेहरे पर गम्भीरता या तंगी देखता हूँ, तो मैं उनके बाल काटने के दौरान खुद को ध्यान देता हूँ और उन्हें सुन्दर बाल काटने का तरीका बताने की कोशिश करता हूँ। इससे वह थोड़ी देर के लिए खुश हो जाते हैं और उनकी मनोदशा सुधरती है। इस तरह, मैं नहीं सिर्फ उनके बाल काटता हूँ, बल्कि उनके मन को भी सुखद बनाता हूँ। इसलिए, महाराज, मेरी चालाकी और व्यवहारिक दक्षता नाई के पद के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम की युक्तियों को समझा और उन्हें नाई के पद पर उच्च नियुक्ति दे दी। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि अपनी कौशलता और दक्षता को उच्च स्थान प्राप्त करने में उपयोग किया जा सकता है और किसी भी कार्य को महत्व और गरिमा से निभाने का यही तरीका है।

4) तेनालीराम की कहानी चोटी का किस्सा

एक बार तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय को एक दिलचस्प कहानी सुनाई। यह कहानी ‘चोटी का किस्सा’ थी।

कहानी शुरू होती है एक गांव में एक गरीब लड़के के साथ। वह बड़ी मेहनत से खेत में काम करता था और अपने दिनचर्या में बहुत मेहनत करता था। वह चोटी (बालों की उचाई) बढ़ाने के लिए बहुत उत्साहित था। उसकी इच्छा थी कि उसकी चोटी बहुत लंबी हो जाए।

एक दिन, उसने बालों की देखभाल के लिए एक खास तेल मिला। वह तेल बालों को लंबे, मुलायम और चमकदार बनाने का दावा करता था। लड़का खुशी से भरा हुआ तेल अपनी चोटी पर लगाने लगा।

धीरे-धीरे समय बितता गया, लेकिन उसकी चोटी लंबी नहीं होती। वह बहुत निराश हो गया और सोचता रहता कि कहीं तेल तो फ़ेका नहीं गया। उसने बहुत मेहनत करने के बावजूद भी उसकी चोटी का कोई असर नहीं हो रहा था।

आखिरकार, उसने दुखी मन से अपनी चोटी का किस्सा राजा कृष्णदेव राय को सुनाया। तेनालीराम ने ध्यान से सुना और उसकी चोटी को देखते हुए एक उद्दंड बाल खींच लिया। तेल के दावे को प्रमाणित करने के लिए, उन्होंने लड़के के बाल को एक झाड़ू की पोंछी के समान लंबा बना दिया। फिर, उस बाल को तेल से भर दिया।

तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय से कहा, “महाराज, देखिए अब इस बाल को। यह इतना लंबा है कि यह पूरी देश की सबसे लंबी चोटी है।”

राजा चकित हो गए और उन्होंने लड़के की चोटी को देखकर तेनालीराम की चालाकी की प्रशंसा की।

तेनालीराम ने बताया, “महाराज, इस लड़के की चोटी का किस्सा हमें यह सिखाता है कि किसी भी ताकतवर व्यक्ति के सामने भी एक साधारण इंसान का महत्व है। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पास शक्ति न होने से हम कमजोर नहीं होते हैं, हमारे भावनाएं और कृत्य हमें शक्तिशाली बनाते हैं।”

5) तेनालीराम की कहानी तीन गुड़ियाँ

एक बार तेनालीराम के पास एक गुड़िया खिलोने की दुकानदार से मिलने आया। दुकानदार ने तेनालीराम से कहा, “तेनालीराम, ये तीन गुड़ियाँ बेचने के लिए आपको बड़ा मुनाफा होगा। लेकिन ध्यान दें, ये तीन गुड़ियाँ एक साथ बिकनी चाहिए, अलग-अलग नहीं।”

तेनालीराम ने वचन दिया कि वह तीन गुड़ियाँ एक साथ बेचेंगे। दुकानदार ने उन्हें गुड़ियों की दी और बाद में वापस आने को कहा।

उन्होंने वापस आते समय गुड़ियों की कीमत देखी और सोचा, “ये गुड़ियाँ इतनी महंगी हैं, मुझे इन्हें एक साथ बेचने में मुनाफा नहीं होगा।”

तेनालीराम ने एक चतुर योजना बनाई। वह अपने सभी मित्रों को बुलाने लगा और उन्हें बताया कि उनको गुड़ियों की जरूरत है और वे सभी गुड़ियों को खरीदने के लिए उसके साथ दुकान पर आएंगे।

दुकानदार ने देखा कि बहुत से लोग उसकी दुकान के पास एकत्रित हो रहे हैं। तेनालीराम ने गुड़ियों की कीमत और उनकी अद्भुतता के बारे में सभी को बताया और कहा कि वे एक साथ ही गुड़ियों को खरीदने के लिए यहां आए हैं।

इस प्रकार, लोग एक साथ ही तीन गुड़ियाँ खरीद लिए और तेनालीराम को बहुत अधिक मुनाफा हुआ। उन्होंने तीन गुड़ियों का पूरा मुनाफा दुकानदार को दिया और खुशी-खुशी उसके पास से चला गया।

दुकानदार दिलचस्प होकर पूछा, “तेनालीराम, तुमने यह सब कैसे किया? तुम तो मेरे साथ एकत्रित हुए सभी को भ्रमित कर रहे थे।”

तेनालीराम ने हंसते हुए कहा, “मैंने कहा था ना, तीन गुड़ियाँ एक साथ ही बिकेंगी। और आपने तो उसका पूरा पालन किया।”

6) तेनालीराम की कहानी महाराज का सपना

एक बार राजा कृष्णदेव राय को एक अजीब सा सपना आया। उन्होंने उस सपने को बड़े ही परेशानी से देखा और उसे समझने के लिए तेनालीराम को बुलवाया।

राजा ने तेनालीराम से कहा, “तेनालीराम, मुझे कल रात को एक अजीब सा सपना आया है। मुझे इसका अर्थ नहीं समझ आया है। कृपया मेरे सपने का रहस्य सुलझाइए।”

तेनालीराम ने प्रसन्नता से कहा, “महाराज, आप मुझे अपने सपने के बारे में बताइए, मैं उसका अर्थ समझने की कोशिश करूँगा।”

राजा ने बताया, “मैंने रात को देखा कि मैं एक भव्य महल के भीतर खड़ा था। उस महल के अंदर जो भी करीबी और मित्र थे, सभी मुझसे नाराज और दुखी दिख रहे थे। मुझे समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हो रहा था।”

तेनालीराम ने ध्यान से सपने को सुना और फिर कहा, “महाराज, आपके सपने का अर्थ समझना बहुत आसान है। आपके सपने में वह महल आपके स्वर्ग अर्जित किए हुए संपत्ति और सम्मान का प्रतीक है। जब आप उस महल के भीतर खड़े थे, तो आपने अपने जीवन में सभी साथियों का ख्याल रखना भूल दिया था। आप इतने व्यस्त और सम्मानित बन गए हैं कि आपने अपने प्रियजनों को ध्यान देना छोड़ दिया है। आपके सपने का संदेश यह है कि आपको अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का समय निकालने की आवश्यकता है, जो आपने सम्मान और संपत्ति के चक्कर में भूल गए हैं।”

राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम के उपाय से खुश होकर अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का संकल्प किया और अपने सपने के संदेश का पालन किया। उसके बाद से उनके प्रियजन उनके साथ बहुत खुश और समृद्ध हुए।

7) तेनालीराम की कहानी संतुष्ट व्यक्ति के लिए उपहार

एक दिन, तेनालीराम के पास एक संतुष्ट व्यक्ति आया और उसने उसे एक अनोखे उपहार दिया। यह कहानी ‘संतुष्ट व्यक्ति के लिए उपहार’ थी।

वह व्यक्ति तेनालीराम को बड़ी श्रद्धा भक्ति से समर्पित था। उसकी जीवन में सभी प्रकार की सुख-दुख समाया हुआ था, फिर भी वह संतुष्ट और खुश रहता था।

तेनालीराम ने उस संतुष्ट व्यक्ति का स्वागत किया और पूछा, “आप इतने संतुष्ट और खुश कैसे रहते हैं? कृपया अपना रहस्य शेयर करें।”

वह व्यक्ति मुस्कराते हुए बोला, “तेनालीराम जी, मेरा रहस्य बहुत सरल है। मैं हर रोज़ सुबह उठकर भगवान को धन्यवाद देता हूँ कि वह मुझे एक और दिन दे रहा है। और जब मैं रात को सोता हूँ, तो मैं उसे याद करता हूँ और उसके चरणों में अपना मन अर्पित कर देता हूँ। इस भक्ति और ध्यान से मेरा मन सदैव शांत और संतुष्ट रहता है।”

तेनालीराम ने उस व्यक्ति की भक्ति और संतुष्टि को देखकर अच्छा लगा। वे सोचने लगे कि क्या उपहार दिया जा सकता है जिससे उस संतुष्ट व्यक्ति को खुशी मिले।

फिर तेनालीराम ने एक छोटे से पात्र को भर भरकर उस संतुष्ट व्यक्ति को उपहार के रूप में प्रस्तुत किया। छोटे से पात्र में बस एक छोटा सा आभूषण था।

वह व्यक्ति प्रसन्नता भरे चेहरे से उसे देखते ही बहुत खुश हो गया। उसने धन्यवाद किया और कहा, “तेनालीराम जी, यह उपहार मेरे लिए सबसे अनमोल है। आपकी मेहनत और प्रेम से भरी हुई यह छोटी सी चीज़ मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैं इसे सदैव साथ रखूँगा और ध्यान रखूँगा। आपने मेरी भक्ति को समझा और मुझे एक विशेष उपहार दिया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।”

तेनालीराम को उस संतुष्ट व्यक्ति की भक्ति और धन्यवाद के भाव से बहुत प्रेरित हुआ। वे समझ गए कि विशेष उपहार देने से भी व्यक्ति को खुशी मिलती है, परंतु सच्चे दिल से दिया गया छोटा सा उपहार भी अनमोल होता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि भक्ति और संतुष्टि से भरी हुई भावना ही सच्चे उपहार की सबसे बड़ी कीमत है।

8) तेनालीराम की कहानी लाल मोर

एक दिन राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक लाल मोर लाया गया। यह मोर बहुत ही सुंदर और आकर्षक था, जिसकी सुन्दरता को देखकर सभी लोग अचंभित हो गए। राजा भी इस मोर के सौंदर्य में मग्न हो गए और उसे अपने पास रखने का फैसला किया।

मोर के लिए एक अलग बड़ा और भव्य कूटीर बनवाया गया। राजा ने इस मोर को बड़े प्यार से पालने और खिलाने का आदेश दिया। दरबार में मोर को खिलाने के लिए खास खाद्य सामग्री भी इकट्ठी की गई।

लेकिन कुछ दिन बाद, राजा ने अपने दरबार में आज्ञा जारी की कि सभी लोग उस मोर को देखने के लिए आएं और उसे वाहन से घुमाएं। मोर के सुंदरता का दर्शन करने के लिए लोग एक्साइटेड हो गए और उसे देखने के लिए दरबार में भीड़ इकट्ठी हो गई।

राजा ने दरबार में प्रवेश किया और मोर को देखकर उसकी सुंदरता की प्रशंसा की। लेकिन तेनालीराम ने कुछ सोचा और फिर राजा से कहा, “महाराज, यह मोर अब खुद को भव्यता में खो दिया है और हमें देखने के लिए तैयार नहीं है।”

राजा चकित हो गए और पूछा, “तेनालीराम, आप क्या कह रहे हैं? यह मोर तो बहुत सुंदर है और उसे देखने के लिए लोग बेताब हो रहे हैं। फिर इसका क्या मतलब है?”

तेनालीराम ने हंसते हुए कहा, “महाराज, देखिए, जब यह मोर एक छोटे से पेंच में था, तो उसकी सुंदरता को सभी ने प्रशंसा की थी। लेकिन अब जब हमने उसे इस बड़े और भव्य कूटीर में बंद कर दिया है, तो वह खुद को दिखाने की चाहत में है और सभी को उसकी सुंदरता का आनंद नहीं हो रहा है।”

राजा ने तेनालीराम की बातों पर गौर किया और समझ गए कि मोर को खुद को बड़ाने की चाह उसकी सुंदरता को कम कर रही है। उन्होंने फैसला किया कि मोर को वापस उस पेंच में छोड़ दिया जाए।

मोर को उस छोटे से पेंच में वापस छोड़ दिया गया और वह खुशी-खुशी अपने स्वतंत्रता में घूमने लगा। उसकी सुंदरता का आनंद अब वापस लौट आया और सभी लोग उसे देखकर आनंदित हो गए।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें खुद को दिखाने के चक्कर में अपनी सुंदरता का आनंद खो देना नहीं चाहिए। हमें आत्मसंवेदनशील रहकर अपने असली स्वरूप का आनंद लेना चाहिए। सच्ची सुंदरता हमारे अंतरंग गुणों में निहित होती है, जो हमें खास बनाती है।

9) तेनालीराम की कहानी राजगुरु की चाल

राजगुरु की चाल एक कहानी है जो तेनालीराम के बुद्धिमान और चालाकीपूर्ण विचार को दर्शाती है। यह कहानी राजा कृष्णदेव राय के दरबार में घटी थी।

एक दिन राजा के दरबार में एक राजगुरु आया और अपनी बुद्धिमान चाल से अद्भुत विचारों के साथ सभी को हेरान कर रहा था। उसने कहा, “महाराज, मैं ऐसा विचार रखता हूँ कि दुनिया का सबसे बड़ा वरदान क्या है।”

राजा चुनौती लेने में रुचि रखते थे और उन्होंने राजगुरु से कहा, “तो आप बताइए, दुनिया का सबसे बड़ा वरदान क्या है?”

राजगुरु ने हंसते हुए कहा, “महाराज, दुनिया का सबसे बड़ा वरदान है – सोचने की शक्ति। यदि किसी के पास सोचने की शक्ति है, तो वह हर चुनौती को स्वीकार कर सकता है और हर समस्या का समाधान निकाल सकता है। सोचने की शक्ति से व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है और उसे सभी अवसरों का सामना करने की क्षमता होती है।”

राजा कृष्णदेव राय ने राजगुरु की चालाकीपूर्ण चाल का अद्भुत महत्व समझ गए और उन्होंने उसे सम्मान किया। यह कहानी हमें यह बताती है कि ज्ञान और सोचने की शक्ति सबसे मूल्यवान धन हैं, जिन्हें हमें सराहना और सम्मान करना चाहिए।

10) तेनाली राम की चतुराई

तेनाली रामा चतुराई एक कहानी है जो तेनालीराम की बुद्धिमानी और चतुराई को दर्शाती है। यह कहानी उस समय की है जब तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में बड़ी सम्मानित व्यक्ति थे।

एक दिन, राजा कृष्णदेव राय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने का फैसला किया। इस निर्णय को लेकर दरबार में एक विशेष अधिवेशन आयोजित किया गया। राजा ने समस्त विश्वासुओं को बुलाया और अपना मामूला निर्णय सुनाने के लिए कहा।

दरबार में एक व्यक्ति ने अपना नाम सम्प्रेषित किया और राजा के सामने प्रस्तुत हुआ। वह व्यक्ति दरबार में बहुत ही वाक्यवादी था और उसने बहुत बड़ी चतुराई की। वह अपने वकील के साथ एक तंत्र बनाने के लिए अनेक उदाहरण देकर राजा को अचंभित कर रहा था।

तेनालीराम ने देखा कि राजा को उस व्यक्ति के वकील के सामने थोड़ी खिशियान रह रही है। उन्होंने समझ लिया कि वकील राजा को उस व्यक्ति के वकील को छोटा दिखाने का प्रयास कर रहा है।

तेनालीराम ने फिर ध्यान से सोचा और अपने वकील के कुछ आक्रमक और चतुर जवाब तैयार किए। जब व्यक्ति के वकील ने अपने तरीके से तंत्र को प्रस्तुत किया, तो तेनालीराम ने तुरंत उत्तर दिया, “वाह वाह! यह तंत्र बहुत ही चतुर है और बिलकुल शानदार है। लेकिन मैं आपको अपने वकील से भी बेहतर तंत्र दिखा सकता हूँ।”

राजा चकित हो गए और पूछा, “तेनालीराम, आपके वकील के पास भी तंत्र है?”

तेनालीराम ने हंसते हुए कहा, “हां महाराज, मेरे वकील के पास भी तंत्र है। वे सीधे और सच्चे तरीके से अपने मुकदमे को जीतने का तंत्र जानते हैं। उन्हें कभी झूठ बोलने और चालाकी करने की जरूरत नहीं होती, और यह वाला तंत्र तो बिलकुल सिर्फ आपके वकील के लिए बनाया है।”

यह कहानी हमें क्या सिखाती है?

यह कहानी हमें विचार की महत्वपूर्णता और सोचने की शक्ति के महत्व को समझाती है।

  1. विचार की महत्वपूर्णता: यह कहानी हमें यह दिखाती है कि विचार किए गए विचारों की महत्वपूर्णता है। राजगुरु ने सोचने की शक्ति को दुनिया का सबसे बड़ा वरदान माना था। यह हमें याद दिलाता है कि हमें सोचने और समझने की क्षमता का विकास करना चाहिए, क्योंकि यह हमें अधिक समस्याओं को समझने और समाधान निकालने में मदद करता है।
  2. सोचने की शक्ति: राजगुरु ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा वरदान सोचने की शक्ति है। सोचने की शक्ति से हम नए और समृद्धिशाली विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं और समस्याओं के समाधान के लिए नए रास्ते ढूंढ सकते हैं। यह हमें सिखाती है कि हमें अपनी सोच को सकारात्मक और उत्तेजनापूर्ण बनाने की आवश्यकता है।
  3. चालाकीपूर्ण विचार: तेनालीराम की यह कहानी उसके चालाकीपूर्ण विचार और बुद्धिमानी को प्रशंसा करती है। वे राजगुरु के सवाल का अद्भुत उत्तर देकर उन्हें विचार के महत्व को समझाते हैं।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि विचार और सोचने की शक्ति हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं और हमें चालाकीपूर्ण विचार और बुद्धिमानी के साथ अपनी समस्याओं का समाधान निकालने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

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तेनाली रामा की कहानी से जुड़े सवाल जवाब

  1. तेनाली रामा कौन थे?

    तेनाली रामा, भारतीय इतिहास की मशहूर और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक हैं। वे अकबर के दरबार में महान कवि, मंत्री और विद्वान् रहे हैं। उनके चतुराई और बुद्धिमानी की कहानियां लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई हैं।

  2. इस कहानी से हमने क्या सिखा?

    चतुराई और बुद्धिमानी

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